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Showing posts from September, 2022
  इस तेज चलती हुई दुनिया मे हम सब बड़े काम करने मे लगे हुए है और इस बड़े काम को करने के चक्कर मे छोटी छोटी चीजों को कैसे नज़र अंदाज़ करते है। सिर्फ मै नही आप नही हम सब इन्ही झूठी और खोखली चीजों मे उलझे हुए है, इसी सोच पे ये कविता लिखी है। ये कविता किसी न किसी रूप मे हमसे जुड़ी हुई है।      | जिंदगी की तलाश मे |    जिंदगी की तलाश मे, जिंदगी बीत गई, सुख की तलाश मे, खुशियाँ बीत गई, वक़्त की तलाश मे, लम्हे बीत गए, लोगों की तलाश मे, लोग छुट गए, ख्वाबों के दौड़ मे, सपने छुट गए, बड़ा होने के दौड़ मे, जवानी छुट गयी, मुस्कुराहटों के दौर मे, हसना भूल गए, दौड़ वाले दौर मे, चलना भूल गए,  इस दिखावे की दुनिया मे, हम खुद को भूल गए।   -- संदीप पंडित