ये कविता हमारे जिंदगी के अलग अलग हिसों में झांकती है। आपके जिंदगी को इस कविता से जोड़ने की कोशिश की गयी है अगर ये कविता जोड़ पाती है तो शेयर जरूर करे।
जिंदगी से मुलाकात करते है
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है,
कुछ बीते दिनों की कहानी याद करते है,
कुछ आने वाले दिनों की कहनी का आगाज करते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
दिलों की गहराई में झांक के देखते है,
कुछ दुख कुछ सूख बांट के दखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
एहसासों को कविता में उतार के देखते है,
लब्जों को मोती बना के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
आज रात के अंधेरे को भगा के देखते है,
उस चांद को जमी पे उतार के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
किसी गरीब को दो रोटी खिला के
फिर उसकी मुस्कान देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ उसकी कुछ अपनी बात करते है ।
आज मेहनत को आजमा के देखते है,
ठाने हुए लक्ष्य को पा के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
ठाने हुए लक्ष्य को पा के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
आज सातों सुर लगा के देखते है,
दिल के गीत को गुनगुना के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
कुछ रूठों को मना के देखते है,
अपनों को गले लगा के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
किसी बच्चे का खिलौना बन के देखते है,
उसकी हसी में हस के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
खुद से दो बातें कर के
खुद से खुद की पहचान कर के देखते है,
चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,
कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।
- Sandeep Pandit
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thank you
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