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  इस तेज चलती हुई दुनिया मे हम सब बड़े काम करने मे लगे हुए है और इस बड़े काम को करने के चक्कर मे छोटी छोटी चीजों को कैसे नज़र अंदाज़ करते है। सिर्फ मै नही आप नही हम सब इन्ही झूठी और खोखली चीजों मे उलझे हुए है, इसी सोच पे ये कविता लिखी है। ये कविता किसी न किसी रूप मे हमसे जुड़ी हुई है।      | जिंदगी की तलाश मे |    जिंदगी की तलाश मे, जिंदगी बीत गई, सुख की तलाश मे, खुशियाँ बीत गई, वक़्त की तलाश मे, लम्हे बीत गए, लोगों की तलाश मे, लोग छुट गए, ख्वाबों के दौड़ मे, सपने छुट गए, बड़ा होने के दौड़ मे, जवानी छुट गयी, मुस्कुराहटों के दौर मे, हसना भूल गए, दौड़ वाले दौर मे, चलना भूल गए,  इस दिखावे की दुनिया मे, हम खुद को भूल गए।   -- संदीप पंडित
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   भारत में दियों का बहुत ही अधिक महत्व होता है। यहां हर सुभ कार्य में एक दिया अवश्य होता है। एक दिया अंधियारा दूर कर इंसान के में का भय मिटाता है और उसके मनोबल की बढ़ाता है। ये कविता कोरोना से लड़ाई में लोगो का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर ९ मई २०२० को पूरे भारत में दिया जलाया गया था उसी विषय पर लिखा गया है। पढ़े और अपने विचार प्रकट करे। ।। आओ एक दिया जलाए ।। आओ आज रात दुआर पे आए, हर जन एक दीप जलाए । हिन्दू मुस्लिम बीच में ना लाए, चलो आज एक दीप जलाए । आई मुसीबत दूर भगाए, चलो आज एक दीप जलाए । मिलकर हम ये देश बचाए, चलो आज एक दीप जलाए । आओ सब मिलके ये संदेश फैलाए के आज रात हर जन एक दीप जलाए ।                                                                                                                                                              -संदीप पंडित instagram page :-  https://instagram.com/kavya_rachnaye?igshid=zvsqdivnahwa Follow us there to read our other fabulous writers.
ये कविता उन लोगो के आधार पर लिखी गई है जो अपने ही देश में रहे के अपने देश के हानि के लिए कार्य करते है, पढ़े और अपना मत दे।              ||   देश के बीमार   ||             ये जो लोग है , मेरे देश के बीमार है । इनका ना कोई धर्म है ना जात है, ये बस मेरे देश के बीमार है । इन्हें भगवान ना अल्हा का डर है, ये मेरे देश के बीमार है । ये ना जाहिल है ना गवार है, ये तो बस बीमार है । इन्हें कहा अपनों से प्यार है, ये तो आज कल बीमार है। इनके हरकत पे पूरा देश शर्मसार है, पर इन्हें क्या ये तो बीमार है । लगता है देश में मचने वाला हाहाकार है, क्युकी इस देश के कुछ लोग बीमार है । इन्हें नहीं जोड़ती किसी धर्म की तार है, ये तो बस बीमार है । ये तो बस बीमार है।                                                                                                             -संदीप पंडित instagram page :-  https://instagram.com/kavya_rachnaye?igshid=zvsqdivnahwa Follow us there to read our other fabulous writers.
ये कविता हमारे जिंदगी के अलग अलग हिसों में झांकती है। आपके जिंदगी को इस कविता से जोड़ने की कोशिश की गयी है अगर ये कविता जोड़ पाती है तो शेयर जरूर करे।                                                   जिंदगी से मुलाकात करते है चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है, कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है, कुछ बीते दिनों की कहानी याद करते है, कुछ आने वाले दिनों की कहनी का आगाज करते है, चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है, कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।                       दिलों की गहराई में झांक के देखते है,                       कुछ दुख कुछ सूख बांट के दखते है,                       चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है,                        कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है । एहसासों को कविता में उतार के देखते है, लब्जों को मोती बना के देखते है, चलिए आज हम जिंदगी से मुलाकात करते है, कुछ आपकी कुछ हमारी बात करते है ।                       आज रात के अंधेरे को भगा के देखते है,                       उस चांद को जमी पे उतार के देखते है,                       चलिए आज हम